मराठी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कवितेच्या प्रदेशात # 26 – जर….. ☆ – सुश्री प्रभा सोनवणे
सुश्री प्रभा सोनवणे
(आज प्रस्तुत है सुश्री प्रभा सोनवणे जी के साप्ताहिक स्तम्भ “कवितेच्या प्रदेशात” में उनकी एक कविता “जर.....”. सुश्री प्रभा जी ने सत्तर वर्ष की वय में जिस परीकथा को लिखने की कल्पना की थी, उन्हें पता भी नहीं चला और उन्होंने इस कविता के माध्यम से लिख ही दिया। इसका आभास उन्हें तब होगा जब वे इस कविता को पुनः पढेंगी। वास्तव में कवि अपनी परिकल्पना में इतना खो जाता है कि उसे पता ही नहीं चलता है कि वह एक कालजयी रचना कर रहा है। अतिसुन्दर परी कथा की रचना एक मधुर स्मृति की तरह संजो कर रखने लायक। मैं यह लिखना नहीं भूलता कि सुश्री प्रभा जी की कवितायें इतनी हृदयस्पर्शी होती हैं कि- कलम उनकी सम्माननीय रचनाओं पर या तो लिखे बिना बढ़ नहीं पाती अथवा निःशब्द हो जाती हैं। सुश्री प्रभा जी की कलम को पुनः नमन।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप निश्चित ही प्रत्येक बुधवार सुश्री प्रभा जी की रचना की प्रतीक्षा करते...