हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ सकारात्मक सपने – #26 – विज्ञापनवादी अभियान ☆ सुश्री अनुभा श्रीवास्तव

सुश्री अनुभा श्रीवास्तव  (सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार, विधि विशेषज्ञ, समाज सेविका के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी  सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी  के साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम उनकी कृति “सकारात्मक सपने” (इस कृति को  म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त) को लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने के अंतर्गत आज अगली कड़ी में प्रस्तुत है  “विज्ञापनवादी अभियान”।  इस लेखमाला की कड़ियाँ आप प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।)     Amazon Link for eBook :  सकारात्मक सपने   Kobo Link for eBook        : सकारात्मक सपने ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने  # 26 ☆ ☆ विज्ञापनवादी अभियान ☆   इन दिनो राष्ट्रीय स्तर पर स्वच्छता अभियान के लिये शहरो के बीच कम्पटीशन चल रहा है. किसी भी शहर में चले जायें बड़े बड़े होर्डिंग, पोस्टर व अन्य विज्ञापन दिख जायेंगे जिनमें उस शहर को नम्बर १ दिखाया गया होगा, सफाई की अपील की गई होगी. वास्तविक सफाई से ज्यादा व्यय तो इस ताम झाम पर हो रहा है, कैप, बैच, एडवरटाइजमेंट, भाषणबाजी खूब हो रही है. किसी सीमा तक तो यह सब भी आवश्यक है जिससे...
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हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ डॉ राजकुमार तिवारी ‘सुमित्र’ – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆ – डॉ.भावना शुक्ल

डॉ राजकुमार तिवारी 'सुमित्र' ( ई- अभिव्यक्ति का यह एक अभिनव प्रयास है।  इस श्रंखला के माध्यम से  हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकारों को सादर चरण स्पर्श है जो आज भी हमारे बीच उपस्थित हैं एवं हमें हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया।  वे निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। इस पीढ़ी के साहित्यकारों को डिजिटल माध्यम में ससम्मान आपसे साझा करने के लिए ई- अभिव्यक्ति कटिबद्ध है एवं यह हमारा कर्तव्य भी है। इस प्रयास में हमने कुछ समय पूर्व आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर एकआलेख आपके लिए प्रस्तुत किया था जिसे आप निम्न  लिंक पर पढ़ सकते हैं : - हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆ – हेमन्त बावनकर इस यज्ञ में आपका सहयोग अपेक्षित हैं। आपसे अनुरोध है कि कृपया आपके शहर के वरिष्ठतम साहित्यकारों...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ संजय उवाच – #23 – परिदृश्य ☆ – श्री संजय भारद्वाज

श्री संजय भारद्वाज    (“साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच “ के  लेखक  श्री संजय भारद्वाज जी का साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। श्री संजय जी के ही शब्दों में ” ‘संजय उवाच’ विभिन्न विषयों पर चिंतनात्मक (दार्शनिक शब्द बहुत ऊँचा हो जाएगा) टिप्पणियाँ  हैं। ईश्वर की अनुकम्पा से इन्हें पाठकों का  आशातीत  प्रतिसाद मिला है।” हम  प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाते रहेंगे। आज प्रस्तुत है  इस शृंखला की अगली  कड़ी । ऐसे ही साप्ताहिक स्तंभों  के माध्यम से  हम आप तक उत्कृष्ट साहित्य पहुंचाने का प्रयास करते रहेंगे।) ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच # 23☆ ☆ परिदृश्य ☆ मुंबई में हूँ और सुबह का भ्रमण कर रहा हूँ। यह इलाका संभवत: ऊँचे पहाड़ को काटकर विकसित किया गया है। नीचे समतल से लेकर ऊपर तक अट्टालिकाओं का जाल। अच्छी बात...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 19 – अंहकार चूर ☆ – श्री आशीष कुमार

श्री आशीष कुमार   (युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में  साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब  प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे  उनके स्थायी स्तम्भ  “आशीष साहित्य”में  उनकी पुस्तक  पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय।  इस कड़ी में आज प्रस्तुत है   “अंहकार चूर”।) Amazon Link – Purn Vinashak ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 19 ☆ ☆ अंहकार चूर ☆   रावण के लिए यह आखरी रात्रि बहुत परेशानी भरी थी। वह सीधे भगवान शिव के मंदिर गया, जहाँ रावण को छोड़कर किसी को भी अंदर जाने की अनुमति नहीं थी। उसने शिव ताण्डव स्तोत्र से शिव की प्रार्थना करनी शुरू कर दी। भगवान शिव रावण के सामने प्रकट हुए और कहा, "रावण, तुमने मुझे क्यों याद किया?" रावण ने उत्तर दिया, "हे महादेव! मैं आपको प्रणाम करता हूँ, मुझे लगता है कि आप अपने सबसे बड़ा भक्त को भूल गए हैं।...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य # 26 ☆ ज़िन्दगी : एक हादसा ☆ – डॉ. मुक्ता

डॉ.  मुक्ता (डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं  माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक  साहित्य” के माध्यम से आप  प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का आलेख “ज़िन्दगी : एक हादसा ”.   यह सच है कि स्त्री - पुरुष  जीवन के दो पहिये हैं। किन्तु, अक्सर जीवन में यह हादसा किसी एक पहिये के ही साथ क्यों ? इस संवेदनशील  एवं विचारणीय विषय पर सतत लेखनी चलाने के लिए डॉ मुक्त जी की लेखनी को  सादर नमन।  कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें एवं अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य  दर्ज करें )   ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य – # 26 ☆ ☆ ज़िन्दगी : एक हादसा☆   अखबार की सुर्खियों या टी•वी• पर प्रतिदिन दिखाए जाने वाले हादसों को देख अंतर्मन उद्वेलित हो उठता है…आखिर कब बदलेगी इंसान की सोच? कब हम हर लड़की में बहन-बेटी का अक्स देखेंगे? कब इस समाज...
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हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन – ☆ संजय दृष्टि – शब्दयुद्ध- आतंक के विरुद्ध ☆ – श्री संजय भारद्वाज

श्री संजय भारद्वाज  (श्री संजय भारद्वाज जी का साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। अब सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकेंगे। )  (आज का दैनिक स्तम्भ ☆ संजय दृष्टि  –  शब्दयुद्ध- आतंक के विरुद्ध ☆  अपने आप में विशिष्ट है। ई- अभिव्यक्ति परिवार के सभी सम्माननीय लेखकगण / पाठकगण श्री संजय भारद्वाज जी एवं श्रीमती सुधा भारद्वाज जी के इस महायज्ञ में अपने आप को समर्पित पाते हैं। मेरा आप सबसे करबद्ध निवेदन है कि इस महायज्ञ में सब अपनी सार्थक भूमिका निभाएं और यही हमारा दायित्व भी है।) ☆ संजय दृष्टि  –  शब्दयुद्ध- आतंक के विरुद्ध ☆ नागरिकों की रक्षा के लिए आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए...
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हिन्दी साहित्य – आलेख ☆ गांधी चर्चा # 5 – हिन्द स्वराज से ☆ श्री अरुण कुमार डनायक

श्री अरुण कुमार डनायक   (श्री अरुण कुमार डनायक जी  महात्मा गांधी जी के विचारों केअध्येता हैं. आप का जन्म दमोह जिले के हटा में 15 फरवरी 1958 को हुआ. सागर  विश्वविद्यालय से रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त करने के उपरान्त वे भारतीय स्टेट बैंक में 1980 में भर्ती हुए. बैंक की सेवा से सहायक महाप्रबंधक के पद से सेवानिवृति पश्चात वे  सामाजिक सरोकारों से जुड़ गए और अनेक रचनात्मक गतिविधियों से संलग्न है. गांधी के विचारों के अध्येता श्री अरुण डनायक वर्तमान में गांधी दर्शन को जन जन तक पहुँचानेके लिए कभी नर्मदा यात्रा पर निकल पड़ते हैं तो कभी विद्यालयों में छात्रों के बीच पहुँच जाते है.  आदरणीय श्री अरुण डनायक जी  ने  गांधीजी के 150 जन्मोत्सव पर  02.10.2020 तक प्रत्येक सप्ताह  गाँधी विचार, दर्शन एवं हिन्द स्वराज विषयों से सम्बंधित अपनी रचनाओं को हमारे पाठकों से साझा करने के हमारे आग्रह को स्वीकार कर हमें अनुग्रहित किया है.  लेख में वर्णित विचार  श्री अरुण जी के  व्यक्तिगत विचार...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ सकारात्मक सपने – #25 – नये चेहरे ☆ सुश्री अनुभा श्रीवास्तव

सुश्री अनुभा श्रीवास्तव  (सुप्रसिद्ध युवा साहित्यकार, विधि विशेषज्ञ, समाज सेविका के अतिरिक्त बहुआयामी व्यक्तित्व की धनी  सुश्री अनुभा श्रीवास्तव जी  के साप्ताहिक स्तम्भ के अंतर्गत हम उनकी कृति “सकारात्मक सपने” (इस कृति को  म. प्र लेखिका संघ का वर्ष २०१८ का पुरस्कार प्राप्त) को लेखमाला के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने के अंतर्गत आज अगली कड़ी में प्रस्तुत है  “नये चेहरे”।  इस लेखमाला की कड़ियाँ आप प्रत्येक सोमवार को पढ़ सकेंगे।)     Amazon Link for eBook :  सकारात्मक सपने   Kobo Link for eBook        : सकारात्मक सपने ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सकारात्मक सपने  # 25 ☆ ☆ नये चेहरे ☆  लाये हैं  हम तूफान से कस्ती निकाल के  इस देश को रखना मेरे बच्चो संभाल के पिछली पीढ़ी ने उनके समय में जो श्रेष्ठ हो सकता था किया, किन्तु वर्तमान में देश की राजनीति का नैतिक अधोपतन हुआ है, सारे घपले घोटाले दुनिया में हमें नीचा देखने पर मजबूर कर रहे हैं, हमारी युवा पीढ़ी ने कारपोरेट जगत में, संचार जगत में क्रांति की है, अमेरिका की सिलिकान वैली की प्रत्येक कंपनी भारतीयो के प्रत्यक्ष या परोक्ष योगदान के...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 18 – पंचमुखी हनुमान ☆ – श्री आशीष कुमार

श्री आशीष कुमार   (युवा साहित्यकार श्री आशीष कुमार ने जीवन में  साहित्यिक यात्रा के साथ एक लंबी रहस्यमयी यात्रा तय की है। उन्होंने भारतीय दर्शन से परे हिंदू दर्शन, विज्ञान और भौतिक क्षेत्रों से परे सफलता की खोज और उस पर गहन शोध किया है। अब  प्रत्येक शनिवार आप पढ़ सकेंगे  उनके स्थायी स्तम्भ  “आशीष साहित्य”में  उनकी पुस्तक  पूर्ण विनाशक के महत्वपूर्ण अध्याय।  इस कड़ी में आज प्रस्तुत है   “पंचमुखी हनुमान ”।) Amazon Link – Purn Vinashak ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ आशीष साहित्य – # 18 ☆ ☆ पंचमुखी हनुमान ☆   मकरध्वज ने भगवान हनुमान से कहा कि महल में प्रवेश करने से पहले उन्हें उससे लड़ना होगा। क्योंकि वह अपने स्वामी अहिरावण के साथ छल नहीं कर सकता है, और सेवक धर्म का पालन करने के लिए अपने पिता का सामना करने के लिए भी तैयार है। मकरध्वज की भक्ति और वचनबद्धता को देखकर, भगवान हनुमान खुश हुए और उसे आशीर्वाद दिया । उसके बाद भगवान हुनमान और मकरध्वज के बीच संग्राम हुआ जिसमे भगवान हनुमान विजयी हुए ।...
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हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य # 25 ☆ स्मित रेखा और संधि पत्र ☆ – डॉ. मुक्ता

डॉ.  मुक्ता (डा. मुक्ता जी हरियाणा साहित्य अकादमी की पूर्व निदेशक एवं  माननीय राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित/पुरस्कृत हैं।  साप्ताहिक स्तम्भ  “डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक  साहित्य” के माध्यम से आप  प्रत्येक शुक्रवार डॉ मुक्ता जी की उत्कृष्ट रचनाओं से रूबरू हो सकेंगे। आज प्रस्तुत है डॉ मुक्ता जी का आलेख “स्मित रेखा और संधि पत्र ”.   जयशंकर प्रसाद जी की कालजयी रचना  'कामायनी ' की  चार पंक्तियों को सुप्रसिद्ध कवि कुमार  विश्वास जी के विडिओ पर सुनकर  डॉ मुक्त जी द्वारा इस सम्पूर्ण आलेख की रचना कर  दी गई ।  कामायनी की चार पंक्तियों पर नारी  की संवेदनाओं पर संवेदनशील रचना डॉ मुक्त जैसी संवेदनशील रचनाकार ही ऐसा आलेख रच सकती हैं।  मैं निःशब्द हूँ और इस 'निःशब्द ' शब्द की पृष्ठभूमि को संवेदनशील और प्रबुद्ध पाठक निश्चय ही पढ़ सकते हैं. डॉ मुक्त जी की कलम को सदर नमन।  कृपया इसे गंभीरता से आत्मसात करें एवं अपने विचार कमेंट बॉक्स में अवश्य  दर्ज करें )   ☆ साप्ताहिक स्तम्भ – डॉ. मुक्ता का संवेदनात्मक साहित्य – # 25...
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