हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख # 80 – देश-परदेश – भविष्यवक्ता ☆ श्री राकेश कुमार ☆

श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 80 ☆ देश-परदेश – भविष्यवक्ता ☆ श्री राकेश कुमार ☆

“कल आज और कल” हमारा जीवन इन्हीं तीन काल में सीमित रहता हैं। बीता हुआ काल (समय), वर्तमान याने आज और सबसे महत्वपूर्ण आने वाला काल।

हम सब अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते हैं। हमारे देश की ज्योतिष विद्या, विज्ञान और तर्क आधारित हैं। प्रतिदिन पेपर में सबसे पहले भविष्य फल और टीवी में भी आज का राशि फल की जानकारी सबसे अधिक पाठक/ श्रोता द्वारा प्राप्त की जाती हैं।

आम चुनाव के समय में भी विगत कुछ वर्षों से नए प्रकार के भविष्य वक्ता ” ओपिनियन पोल सर्वे” के नाम से दुकानें सजाए बैठे हैं।

प्री पोल,पोस्ट पोल सर्वे पर कुछ हद तक अंकुश भी लगाया गया हैं। लेकिन ये लोग भी बहुत ही चतुर प्राणी होते हैं। चुनाव से महीनों पूर्व भी ये लोग सर्वे करवाते रहते हैं।

सभी टीवी चैनल वाले आम जनता को मूर्ख बनाते हुए टीवी पर अपनी टीआरपी बढ़ाने के चक्कर में इन सो कॉल्ड भविष्य के ज्ञानियों की रिपोर्ट पर भी कुत्तों को लड़वाते रहते हैं।

चुनाव के दिन मौसम कैसा रहेगा ? शादी का सीजन या कोई स्थानीय कारण से मतदान का प्रतिशत निर्भर करता है, इन सब बातों की चर्चा करते हुए ये लोग भी चुनाव परिणाम के साथ “अगर/ मगर” जोड़ कर परिणाम के भविष्य के साथ एक प्रश्न चिन्ह  खड़ा कर देते हैं।

हमारे विचार से पुराने समय के अच्छे भविष्य वक्ता ग्रह और नक्षत्र विज्ञान का सहारा लेते थे। वर्तमान में टीवी चैनल वाले भविष्य वक्ता हेलीकॉप्टर/ एसी कार में भ्रमण कर फर्जी आंकड़ों  को कंप्यूटर में डाल कर मंथन करते हुए अपने आप को ” राजनैतिक विशेषज्ञ” मान लेते हैं।

© श्री राकेश कुमार

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈