हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ कादम्बरी # 47 – अहसास की बातें… ☆ आचार्य भगवत दुबे ☆

आचार्य भगवत दुबे

(संस्कारधानी जबलपुर के हमारी वरिष्ठतम पीढ़ी के साहित्यकार गुरुवर आचार्य भगवत दुबे जी को सादर चरण स्पर्श । वे आज भी हमारी उंगलियां थामकर अपने अनुभव की विरासत हमसे समय-समय पर साझा करते रहते हैं। इस पीढ़ी ने अपना सारा जीवन साहित्य सेवा में अर्पित कर दिया है।सीमित शब्दों में आपकी उपलब्धियों का उल्लेख अकल्पनीय है। आचार्य भगवत दुबे जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विस्तृत जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें 👉 ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व ☆. आप निश्चित ही हमारे आदर्श हैं और प्रेरणा स्त्रोत हैं। हमारे विशेष अनुरोध पर आपने अपना साहित्य हमारे प्रबुद्ध पाठकों से साझा करना सहर्ष स्वीकार किया है। अब आप आचार्य जी की रचनाएँ प्रत्येक मंगलवार को आत्मसात कर सकेंगे।  आज प्रस्तुत हैं आपकी एक भावप्रवण रचना – अहसास की बातें…।)

✍  साप्ताहिक स्तम्भ – ☆ कादम्बरी # 47 – अहसास की बातें… ☆ आचार्य भगवत दुबे ✍

करते हो, आज क्यों फिर उल्लास की बातें 

पूछीं न तुमने मुझसे संन्यास की बातें

*

पतझर के सिवा, हमने जीवन में कुछ न पाया 

करती रहीं छलावा, मधुमास की बातें

*

दो बोल अपनेपन के, सुनने को तरसे हैं हम 

सबसे मिली हैं सुनने, उपहास की बातें

*

रस-रंग की कथाएँ, कैसे उसे सुहायें 

जिसने सुनी हैं हर पल, संत्रास की बातें

*

आस्थाएँ हैं अपाहिज, श्रद्धा हुई है घायल 

लगतीं फरेब जैसी, विश्वास की बातें

*

हारा नहीं है जीवन, मेरा विपत्तियों से 

विपदा ने की हैं मुझसे, उल्लास की बातें

*

है खंडहर ही केवल, अब साक्षी समय का 

हर ईंट ने सुनी हैं, अहसास की बातें

https://www.bhagwatdubey.com

© आचार्य भगवत दुबे

82, पी एन्ड टी कॉलोनी, जसूजा सिटी, पोस्ट गढ़ा, जबलपुर, मध्य प्रदेश

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈