हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख # 77 – देश-परदेश – विश्व रंग मंच दिवस ☆ श्री राकेश कुमार ☆

श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “देश -परदेश ” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 77 ☆ देश-परदेश – विश्व रंग मंच दिवस ☆ श्री राकेश कुमार ☆

रंग मंच भी समयानुसार अपने रूप बदल बदल कर हमारे जीवन के यथार्थ परोसता रहता हैं।

सदियों पूर्व कलाकार पैदल पैदल घूम घूम कर अपनी कला की सुगंध को बिखेरते थे। पहिए के अविष्कार से ये लोग भी बैलगाड़ी, ऊंट गाड़ी आदि साधनों को उपयोग कर अपनी पहुंच दूर दराज तक करने लगे थे।

समय तेज गति के साधन का हुआ, तो ये लोग भी एक छोटी बस/ ट्रक इत्यादि से काफिला का रूप लेकर प्रगति करते रहें। करीब दो सदी पूर्व सिनेमा के द्वारा मनोरंजन उपलब्ध करना आरंभ किया जिसने  तो मंच कलाकार को बहुत हद तक कमज़ोर कर दिया हैं।

टीवी नामक छोटे पर्दे ने रही कसर निकाल कर रंग मंच की कमर ही तोड़ दी हैं। “दुनिया मुट्ठी” में को सच साबित करने वाला मोबाईल यंत्र ने तो रंग मंच को वेंटिलेटर पर पहुंचा दिया हैं।

रंग मंच के कलाकार भी एक अलग मिट्टी के बने हुए होते हैं। अपनी अंतिम सांस तक लड़ते हुए रंग मंच को जीवित रखे हुए हैं। अपने अस्तित्व की लड़ाई को जारी रखते हुए इन सभी कलाकारों को नमन।

टीवी पर दिखाए जाने वाले सीरियल हो या जंगली जानवरों से भी बदतर तरीके से लड़ते हुए विभिन्न राजनैतिक दल के प्रतिनिधि हो मात्र झूट और फरेब फैलाते हैं।

इसी प्रकार का कार्य हमारा व्हाट्स ऐप भी कर रहा है। ज्ञान की इतनी ओवर डोज दे देता है, कि अपच हो जाती हैं। जिस प्रकार जरूरत से अधिक भोजन शरीर को लाभ के स्थान पर हानि अधिक पहुंचता है, उसी प्रकार से व्हाट्स ऐप का ज्ञान और मनोरंजन हमें मानसिक रूप से क्षति पहुंचा रहा है।

हमारा ये लेख भी तो कहीं आपको मानसिक रूप से अशांति तो नहीं दे रहा है ?

© श्री राकेश कुमार

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈