हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख # 59 – देश-परदेश – COVID Returns ☆ श्री राकेश कुमार ☆

श्री राकेश कुमार

(श्री राकेश कुमार जी भारतीय स्टेट बैंक से 37 वर्ष सेवा के उपरांत वरिष्ठ अधिकारी के पद पर मुंबई से 2016 में सेवानिवृत। बैंक की सेवा में मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विभिन्न शहरों और वहाँ  की संस्कृति को करीब से देखने का अवसर मिला। उनके आत्मकथ्य स्वरुप – “संभवतः मेरी रचनाएँ मेरी स्मृतियों और अनुभवों का लेखा जोखा है।” ज प्रस्तुत है आलेख की शृंखला – “COVID Returns” की अगली कड़ी।)

☆ आलेख # 59 ☆ देश-परदेश – COVID Returns ☆ श्री राकेश कुमार ☆

इससे पहले कि बॉलीवुड का कोई फिल्म निर्माता इस नाम से अपनी फिल्म का टाइटल रजिस्टर्ड करवाए, हम अपना लेख सुरक्षित कर लेना चाहते हैं।

हमारे देश में विगत तीन दिन से गूगल में कोविड के पुराने वायरल वीडियो सबसे अधिक डाउनलोड किए गए हैं। व्हाट्स ऐप/मुखग्रंथ और क्या ट्विटर ऐसे मैसेजों की सुनामी आ गई है।

राई का पहाड़ बनाने में हमारे देशवासियों का पूरे विश्व में कोई सानी नहीं है। शायद यूएनओ ने भी इसको मान लिया होगा।

हमने भी इस बाबत युद्ध स्तर पर तैयारी आरंभ करते हुए नाक/मुंह छिपाने वाले मास्क के पुराने स्टॉक की खोजबीन में पाया बहुत सारे मास्क तो जूते साफ करने में कार्यरत हैं, और कुछ एक दूसरे से जोड़कर कपड़े सुखाने की रस्सी का रोल निभा रहे हैं।

कमांडो कार्यवाही करते हुए रस्सी को खोलकर कुछ मास्क तो पुनः उपयोग लायक कर लिए गए हैं।

हैंड सैनिटाइजर नामक तरल पदार्थ की प्लास्टिक बॉटल में सरसों का तेल भरा हुआ मिला, जाड़े के मौसम में सीमित उपलब्ध साधनों से अधिकतम सदुपयोग करने में भी भारतीय नारी का कोई जवाब नहीं हैं।

काढ़ा बनाने में लगने वाला कच्चे मॉल के भावों में वृद्धि आसमान छू चुकी हैं। सब्जी मंडी से अदरक ऐसे गायब हो गई है, जैसे गधे के सिर से सींग चले गए थे।

बैंक से पेंशन लोन उठाकर तीन माह का अग्रिम राशन से भी घर भर दिया है,ताकि लॉक डाउन की स्थिति में भूखे  ना रहना पड़ जाए।

घर के पास में एक छोटा सा नर्सिंग होम है, कोविड की प्रथम और द्वितीय लहर के समय उसने पास के एक और मकान को किराए पर लेकर एक्सटेंशन काउंटर खोल कर मोटी रकम हज़म कर ली थी।

नर्सिंग होम के मालिक ने पुनः उस मकान मालिक से किराए पर मकान ले लिया है। इसको अंग्रेजी  में प्रोएक्टिव संज्ञा से नवाजा जाता है। कार्यालयों में भी प्रोएक्टिव कर्मचारियों की बड़ी मांग रहती है। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की योग्यता का होना आवश्यक होता है, इसी के तहत अपने समूह के लिए कोविड वापसी की तैयारी का लेख प्रेषित कर रहा हूँ।

© श्री राकेश कुमार

संपर्क – B 508 शिवज्ञान एनक्लेव, निर्माण नगर AB ब्लॉक, जयपुर-302 019 (राजस्थान)

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈