हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ व्यंग्य # 207 ☆ लघुकथा – “डमी कैमरा…” ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है। आज प्रस्तुत है आपका एक विचारणीय लघुकथा – डमी कैमरा)

☆ लघुकथा – ‘डमी कैमरा’ ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय

दीपावली में सब लोग मिलने मिलाने एक दूसरे के घर आया- जाया करते हैं, जो घर आता है उसे लोग अपनी हैसियत से खिलाते पिलाते भी हैं।  

दीवाली के दूसरे दिन मैं अपने एक मित्र के यहां गया, उसने ड्राइफ्रुट से भरी एक ट्रे लाकर मेरे सामने रख दी। थोड़ी देर बातचीत हुई, हैप्पी दिवाली, बधाई, शुभकामनाएं आदि की औपचारिकता के बाद वो चाय लेने अंदर चला गया तभी मैंने मुठ्ठा भरकर पिस्ते खाने के लिए उठाया ही था कि मेरी नजर सामने लगे CCTV कैमरे पर गई और फिर मैंने कैमरे को गाली देते हुए एक ही पिस्ता खाया।

जब चाय लेकर मित्र आया तो उससे पूछा कि ये कैमरे कितने में लगाए हो तो उसने हंसते हुए बताया कि ये तो डमी कैमरा है, हर साल दिपावली पर इस ड्राइंग रूम में लगा देता हूँ… आप तो जानते ही हैं कि दुनिया में तरह तरह के लोग होते हैं।

© जय प्रकाश पाण्डेय

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈