हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ सलिल प्रवाह # 155 ☆ भारत का भाषा गीत… ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

(आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ जी संस्कारधानी जबलपुर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार हैं। आपको आपकी बुआ श्री महीयसी महादेवी वर्मा जी से साहित्यिक विधा विरासत में प्राप्त हुई है । आपके द्वारा रचित साहित्य में प्रमुख हैं पुस्तकें- कलम के देव, लोकतंत्र का मकबरा, मीत मेरे, भूकंप के साथ जीना सीखें, समय्जयी साहित्यकार भगवत प्रसाद मिश्रा ‘नियाज़’, काल है संक्रांति का, सड़क पर आदि।  संपादन -८ पुस्तकें ६ पत्रिकाएँ अनेक संकलन। आप प्रत्येक सप्ताह रविवार को  “साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह” के अंतर्गत आपकी रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे। आज प्रस्तुत है – भारत का भाषा गीत)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – सलिल प्रवाह # 155 ☆

☆ भारत का भाषा गीत ☆ आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’ ☆

हिंद और हिंदी की जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

*

भाषा सहोदरा होती है, हर प्राणी की

अक्षर-शब्द बसी छवि, शारद कल्याणी की

नाद-ताल, रस-छंद, व्याकरण शुद्ध सरलतम

जो बोले वह लिखें-पढ़ें, विधि जगवाणी की

संस्कृत सुरवाणी अपना, गलहार करें हम

हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

*

असमी, उड़िया, कश्मीरी, डोगरी, कोंकणी,

कन्नड़, तमिल, तेलुगु, गुजराती, नेपाली,

मलयालम, मणिपुरी, मैथिली, बोडो, उर्दू

पंजाबी, बांगला, मराठी सह संथाली

​’सलिल’ पचेली, सिंधी व्यवहार करें हम

हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

*

ब्राम्ही, प्राकृत, पाली, बृज, अपभ्रंश, बघेली,

अवधी, कैथी, गढ़वाली, गोंडी, बुन्देली,

राजस्थानी, हल्बी, छत्तीसगढ़ी, मालवी,

भोजपुरी, मारिया, कोरकू, मुड़िया, नहली,

परजा, गड़वा, कोलमी से सत्कार करें हम

हिंद और हिंदी की, जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

*

शेखावाटी, डिंगल, हाड़ौती, मेवाड़ी

कन्नौजी, मागधी, खोंड, सादरी, निमाड़ी,

सरायकी, डिंगल, खासी, अंगिका, बज्जिका,

जटकी, हरयाणवी, बैंसवाड़ी, मारवाड़ी,

मीज़ो, मुंडारी, गारो मनुहार करें हम

हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

*

देवनागरी लिपि, स्वर-व्यंजन, अलंकार पढ़

शब्द-शक्तियाँ, तत्सम-तद्भव, संधि, बिंब गढ़

गीत, कहानी, लेख, समीक्षा, नाटक रचकर

समय, समाज, मूल्य मानव के नए सकें मढ़

‘सलिल’ विश्व, मानव, प्रकृति-उद्धार करें हम

हिन्द और हिंदी की जय-जयकार करें हम

भारत की माटी, हिंदी से प्यार करें हम

©  आचार्य संजीव वर्मा ‘सलिल’

२४-८-२०१६, जबलपुर

संपर्क: विश्ववाणी हिंदी संस्थान, ४०१ विजय अपार्टमेंट, नेपियर टाउन, जबलपुर ४८२००१,

चलभाष: ९४२५१८३२४४  ईमेल: [email protected]

 संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈