श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संस्कारधानी के सुप्रसिद्ध एवं सजग अग्रज साहित्यकार श्री मनोज कुमार शुक्ल “मनोज” जी  के साप्ताहिक स्तम्भ  “मनोज साहित्य ” में आज प्रस्तुत है “मनोज के दोहे…। आप प्रत्येक मंगलवार को आपकी भावप्रवण रचनाएँ आत्मसात कर सकेंगे।

✍ मनोज साहित्य # 82 – मनोज के दोहे…

 

1 साक्षी

सनकी प्रेमी दे गया, सबके मन को दाह।

दृश्य-कैमरा सामने, साक्षी बनी गवाह।

2 शृंगार

नारी मन शृंगार का, पौरुष पुरुष प्रधान।

दोनों के ही मेल से, रिश्तों का सम्मान।।

3 पाणिग्रहण

संस्कृति में पाणिग्रहण,नव जीवन अध्याय।

शुभाशीष देते सभी, होते देव सहाय।।

4 वेदी

अग्निहोत्र वेदी सजी, करें हवन मिल लोग।

ईश्वर को नैवेद्य फिर, सबको मिलता भोग।।

5 विवाह

मौसम दिखे विवाह का, सज-धज निकलें लोग।

मंगलकारी कामना, उपहारों का योग ।।

 ©  मनोज कुमार शुक्ल “मनोज”

संपर्क – 58 आशीष दीप, उत्तर मिलोनीगंज जबलपुर (मध्य प्रदेश)- 482002

मो  94258 62550

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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