हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 126 ☆ # झूठे वादे… # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆
श्री श्याम खापर्डे
(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है आपकी एक भावप्रवण कविता “# झूठे वादे… #”)
☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 126 ☆
☆ # झूठे वादे… # ☆
अब कौन यह हिम्मत करेगा
की सच बोले
सच के लिए
अपना मुंह खोले
सच बोलने वाले
ना जाने अंधेरे में
कहां खो जाते हैं
फिर वो दुबारा
कहीं नजर नहीं आते हैं
महफ़िलो में
पार्टियों में
नयी नयी शैलियों में
कभी कभी अनाम रैलियों में
इन्हें परोसा जाता है
आम आदमी
जो सहज है, सरल है
जीवन भर
इसे समझ
नही पाता है
वो इसी मदहोशी में
मस्त रहता है
कभी व्यवस्था के खिलाफ
कुछ नहीं कहता है
वक्त धीरे धीरे
आगे बढता है
सूरज भी धीरे धीरे
ऊपर चढ़ता है
इस आग और तपिश
की जलन में
हाथगाड़ी,
फुटपाथों पर
नंगे बदन में
अपनी जिंदगी
हार जाता है
वो चांद की ठंडक या
चांद को कभी
नही पाता है
उसके लिए
पूर्णमासी भी
अमावस बन जाती है
उसके जीवन में
फिर कभी
रोशनी लौट कर नहीं
आती है
पसीने से तरबतर
वो थका-हारा
चांद को ताकते ताकते
ना जाने कब
सो जाता है
भूख और गरीबी में
झूठे वादों के सिवा
वो जीवन मे
कुछ नही पाता है/
© श्याम खापर्डे
फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो 9425592588
≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈