(प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ जी के साप्ताहिक स्तम्भ – “विवेक साहित्य ”  में हम श्री विवेक जी की चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र जी, मुख्यअभियंता सिविल  (म प्र पूर्व क्षेत्र विद्युत् वितरण कंपनी , जबलपुर ) से सेवानिवृत्त हैं। तकनीकी पृष्ठभूमि के साथ ही उन्हें साहित्यिक अभिरुचि विरासत में मिली है। आपको वैचारिक व सामाजिक लेखन हेतु अनेक पुरस्कारो से सम्मानित किया जा चुका है।आज प्रस्तुत है एक विचारणीय   आलेख – पाठको की तलाश।

☆ साप्ताहिक स्तम्भ – विवेक सहित्य # 193 ☆  

? आलेख पाठको की तलाश ?

पिछले जमाने की फिल्मो के मेलों में भले ही लोग बिछड़ते रहे हों पर आज के साहित्यिक परिवेश में मुझे पुस्तक मेलो में मेरे गुमशुदा पाठक की तलाश है, उस पाठक की जो धारावाहिक उपन्यास छापने वाली पत्रिकाओ के नये अंको की प्रतीक्षा करता हो, उस पाठक की जो खरीद कर किताब पढ़ता हो, जिसे मेरी तरह बिना पढ़े नींद न आती हो, उस पाठक की जो भले ही लेखक न हो पर पाठक तो हो, ऐसा पाठक जो साहित्य के लिये केवल अखबार के साहित्यिक परिशिष्ट तक ही सीमित न हो,उस पाठक की जो अपने ड्रांइग रूम की अल्मारी में किताबें सजा कर भर न रखे वह उनका पाठक भी बने, ऐसा पाठक आपको मिले तो जरूर बताइयेगा.

आज साहित्य जगत के पास लेखक हैं, किताबें हैं, प्रकाशक हैं चाहिये कुछ तो बस पाठक ।

© विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’ 

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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