हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 113 ☆ # दिल कुछ पल बहल जाए… # ☆ श्री श्याम खापर्डे ☆

श्री श्याम खापर्डे

(श्री श्याम खापर्डे जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी हैं। आप प्रत्येक सोमवार पढ़ सकते हैं साप्ताहिक स्तम्भ – क्या बात है श्याम जी । आज प्रस्तुत है दीप पर्व पर आपकी एक भावप्रवण कविता “# दिल कुछ पल बहल जाए…#”

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ क्या बात है श्याम जी # 113 ☆

☆ # दिल कुछ पल बहल जाए… # ☆ 

चलो कहीं चला जाए

कब तक फरेब से छला जाए

जीना दुश्वार हो गया है यहां

कब तक इस आग में जला जाए

 

यहां इन्सान कहां रहते हैं

बुत बनकर सब सहते हैं

मर गई है सबकी संवेदनाएं

क्या इसी को जीना कहते हैं ?

 

आंखें रहकर भी सारे अंधे हैं

ना जाने किसके गुलाम बंदे हैं

ना सुनते है ना बोलते है वो

गले में गुलामी के फंदे हैं

 

कांटों के संग फूल खिल तो रहे हैं

अच्छे बुरे लोग मिल तो रहे हैं

उपवन में यह सन्नाटा सा क्यूं है

दहशत में लोग होंठ सिलतो रहे हैं

 

चलो खुली हवा में कहीं टहल आए

लड़खड़ाती सांस फिर से चल जाए

कहीं तो होगी सुकून वाली जगह

शायद यह दिल कुछ पल बहल जाए  /

© श्याम खापर्डे

फ्लेट न – 402, मैत्री अपार्टमेंट, फेज – बी, रिसाली, दुर्ग ( छत्तीसगढ़) मो  9425592588

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈