हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ आलेख # 166 ☆ – “छकौड़ी की परेशानी”☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

श्री जय प्रकाश पाण्डेय

(श्री जयप्रकाश पाण्डेय जी की पहचान भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अतिरिक्त एक वरिष्ठ साहित्यकार की है। वे साहित्य की विभिन्न विधाओं के सशक्त हस्ताक्षर हैं। उनके  व्यंग्य रचनाओं पर स्व. हरीशंकर परसाईं जी के साहित्य का असर देखने को मिलता है। परसाईं जी का सानिध्य उनके जीवन के अविस्मरणीय अनमोल क्षणों में से हैं, जिन्हें उन्होने अपने हृदय एवं साहित्य में  सँजो रखा है।आज प्रस्तुत है आपकी एक अतिसुन्दर एवं विचारणीय कविता –‘छकौड़ी की परेशानी’)

☆ कविता # 166 ☆ ‘छकौड़ी की परेशानी’ ☆ श्री जय प्रकाश पाण्डेय ☆

छकौड़ी परेशान है।

 

खेत की धान

सुअर चर गए,

छकौड़ी का बैल

भूखा मर गया,

राशन कार्ड को

चूहे कुतर गए,

 

छकौड़ी परेशान है। 

 

गांव के मालगुजार से

उधारी के ब्याज से,

पत्नी की बीमारी से

मंहगी मंहगाई से

अनाज उगाने से

एड़ी के फफोलों से

खेत के चिल्लाने से

पैसे उगाने वालों से

 

छकौड़ी परेशान है।

© जय प्रकाश पाण्डेय

416 – एच, जय नगर, आई बी एम आफिस के पास जबलपुर – 482002  मोबाइल 9977318765

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈