हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 33 ☆ मुक्तक ।। यहीं इसी धरती को हमें, स्वर्ग बनाना है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆

श्री एस के कपूर “श्री हंस”

(बहुमुखी प्रतिभा के धनी  श्री एस के कपूर “श्री हंस” जी भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त अधिकारी हैं। आप कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत/अलंकृत हैं। साहित्य एवं सामाजिक सेवाओं में आपका विशेष योगदान हैं।  आप प्रत्येक शनिवार श्री एस के कपूर जी की रचना आत्मसात कर सकते हैं। आज प्रस्तुत है आपका स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष में एक भावप्रवण मुक्तक ।। यहीं इसी धरती को हमें, स्वर्ग बनाना है।। )

☆ साप्ताहिक स्तम्भ ☆ “श्री हंस” साहित्य # 33 ☆

☆ मुक्तक ☆ ।। यहीं इसी धरती को हमें, स्वर्ग बनाना है ।। ☆ श्री एस के कपूर “श्री हंस”☆ 

[1]

हो विरोध कटुता फिर बात प्यार की नहीं होती।

हो मतभेद मनभेद तो बात इकरार की नहीं होती।।

जब दिल का कोना कोना नफरत में लिपटता है।

तो कोई बात आपस में सरोकार की नहीं होती।।

[2]

हम भूल जाते कोई अमर नहीं एक दिन जाना है।

जाकर प्रभु से कर्मों का खाता जंचवाना है।।

ऊपर जाकर स्वर्ग नरक चिंता मत करो अभी।

हो तेरी कोशिश हर क्षण यहीं स्वर्ग बनाना है।।

[3]

एक ही मिला जीवन कि बर्बाद नहीं करना है।

मन में नकारात्मकता भाव आबाद नहीं करना है।।

चाहें सब के लिए सुख तो हम सुख ही पायेंगे।

भूल से किसी के लिए गलत फरियाद नहीं करना है।।

© एस के कपूर “श्री हंस”

बरेली

ईमेल – Skkapoor5067@ gmail.com

मोब  – 9897071046, 8218685464

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈