हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ अभिनव-गीत # 105 – “ऊपर से उड़-उड़ जाती है…” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी ☆

श्री राघवेंद्र तिवारी

(प्रतिष्ठित कवि, रेखाचित्रकार, लेखक, सम्पादक श्रद्धेय श्री राघवेंद्र तिवारी जी  हिन्दी, दूर शिक्षा, पत्रकारिता व जनसंचार,  मानवाधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं शोध जैसे विषयों में शिक्षित एवं दीक्षित। 1970 से सतत लेखन। आपके द्वारा सृजित ‘शिक्षा का नया विकल्प : दूर शिक्षा’ (1997), ‘भारत में जनसंचार और सम्प्रेषण के मूल सिद्धांत’ (2009), ‘स्थापित होता है शब्द हर बार’ (कविता संग्रह, 2011), ‘​जहाँ दरक कर गिरा समय भी​’​ ( 2014​)​ कृतियाँ प्रकाशित एवं चर्चित हो चुकी हैं। ​आपके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए ‘कविता की अनुभूतिपरक जटिलता’ शीर्षक से एक श्रव्य कैसेट भी तैयार कराया जा चुका है।  आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण अभिनवगीत – “ऊपर से उड़-उड़ जाती है…।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 105 ☆।। अभिनव-गीत ।। ☆

☆ || “ऊपर से उड़-उड़ जाती है”|| ☆

पहुँचा नहीं बाढ़ से

राहत को कोई अमला

छत पर खड़ी उदास

जोहती वाट रही कमला

 

गायें भूखी बँधी थान पर

जायें कहाँ जायें

भीगे, वस्त्र, बिछावन,

लत्तर गहरी विपदायें

 

आटा भीग गया डिब्बे का

“करता कुछ” कह कर

भिनसारे ही निकल

गया था बेचारा रमला

 

बच्चा चिल्लाता छप्पर से

भूख लगी मैया

मैया कहती हमको रोटी

पहुँचाओ भैया

 

है खराब मौसम ,डरता

है बाकी जीव -जगत

नहीं सहा जाता पानी

का यह भारी हमला

 

ऊपर से उड़-उड़ जाती है

बड़ी चील गाड़ी

रमला खड़ा दूर टीले पर

खुजलाता दाढ़ी

 

कभी बचाओ, कभी

भूख का, शोर सुनाई दे

लगता जैसे कक्षा में

कोई बोले इमला

©  श्री राघवेन्द्र तिवारी

27-08-2022

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈