हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ तन्मय साहित्य#146 ☆ गीत – देश प्रेम के गाए मंगल गान, वंदे मातरम… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
(सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ जी अर्ध शताधिक अलंकरणों /सम्मानों से अलंकृत/सम्मानित हैं। आपकी लघुकथा “रात का चौकीदार” महाराष्ट्र शासन के शैक्षणिक पाठ्यक्रम कक्षा 9वीं की “हिंदी लोक भारती” पाठ्यपुस्तक में सम्मिलित। आप हमारे प्रबुद्ध पाठकों के साथ समय-समय पर अपनी अप्रतिम रचनाएँ साझा करते रहते हैं। आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण एवं विचारणीय अप्रतिम रचना “देश प्रेम के गाए मंगल गान, वंदे मातरम…”।)
☆ तन्मय साहित्य # 146 ☆
☆ गीत – देश प्रेम के गाए मंगल गान, वंदे मातरम… ☆ श्री सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’ ☆
अमर रहे जनतंत्र
शक्ति संपन्न रहे भारत अपना
सोने की चिड़िया फिर
जगतगुरु हो ये सब का सपना
देश बने सिरमौर जगत में
ये दिल में अरमान,
वंदे मातरम
देश प्रेम के गाएं मंगल गान, वंदे मातरम।
युगों युगों तक लहराए
जय विजयी विश्व तिरंगा ये
अविरल बहती रहे, पुनीत
नर्मदा, जमुना, गंगा ये,
सजग जवान, सिपाही, सैनिक
खेत और खलिहान,
वंदे मातरम
देश प्रेम के गाएं मंगल गान, वंदे मातरम।
© सुरेश कुशवाहा ‘तन्मय’
अलीगढ़/भोपाल
मो. 9893266014
≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈