हिन्दी साहित्य – साप्ताहिक स्तम्भ ☆ अभिनव-गीत # 74 – “कैसे रहें सुर्खियों में” ☆ श्री राघवेंद्र तिवारी

श्री राघवेंद्र तिवारी

(प्रतिष्ठित कवि, रेखाचित्रकार, लेखक, सम्पादक श्रद्धेय श्री राघवेंद्र तिवारी जी  हिन्दी, दूर शिक्षा ,पत्रकारिता व जनसंचार,  मानवाधिकार तथा बौद्धिक सम्पदा अधिकार एवं शोध जैसे विषयों में शिक्षित एवं दीक्षित । 1970 से सतत लेखन। आपके द्वारा सृजित ‘शिक्षा का नया विकल्प : दूर शिक्षा’ (1997), ‘भारत में जनसंचार और सम्प्रेषण के मूल सिद्धांत’ (2009), ‘स्थापित होता है शब्द हर बार’ (कविता संग्रह, 2011), ‘​जहाँ दरक कर गिरा समय भी​’​ ( 2014​)​ कृतियाँ प्रकाशित एवं चर्चित हो चुकी हैं। ​आपके द्वारा स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम के लिए ‘कविता की अनुभूतिपरक जटिलता’ शीर्षक से एक श्रव्य कैसेट भी तैयार कराया जा चुका है।  आज प्रस्तुत है एक भावप्रवण अभिनवगीत – “कैसे रहें सुर्खियों में।)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ # 74 ☆।। अभिनव-गीत ।। ☆

☆ || “कैसे रहें सुर्खियों में” || ☆

ऊँचे भवनों में रह कर के

सिर्फ गरीबी पर लिखना ।

ऐसे गीतों से हट कर कुछ

नया -नया भैया लिखना।।

 

रेशम ही जब बना तुम्हें तो

चमक दिखा करअपनीभी।

शिफ्टकरोअपनी किस्मत को,

ले जुगाड़ वाली चाभी।

 

कभी कभार पाँचतारा में-

फटी जीन्स में भीदिखना।।

 

गया ट्रेंड होरी धनियां का

“कैसे रहें सुर्खियों में।”

सारी दुनियाँ घूम रही है

सन्शोधनी चर्खियों में।

 

इसी विषय पर अपनी प्रतिभा

के मीठे फल को चखना।।

 

यह भी नया ट्रेंड है आया

सरकारों में घुस जाओ।

लिखा भूख या खून पसीने

पर जो तुमने, मिटवाओ।

 

अपने संरक्षण को मन्त्री

स्तर का नेता रखना ।।

 

©  श्री राघवेन्द्र तिवारी

20-01-2022

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≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈