हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – विश्व पृथ्वी दिवस विशेष – हरी-भरी🌱 ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆
श्री संजय भारद्वाज
(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही गंभीर लेखन। शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं। हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं।)
संजीवनी लाकर मूर्च्छा को चेतना में बदलने वाले प्रभु हनुमान को प्रणाम। श्री हनुमान प्राकट्योत्सव की हार्दिक बधाई।
संजय दृष्टि – विश्व पृथ्वी दिवस विशेष – हरी-भरी🌱
🌳 माटी से मानुष तक इस हरियाली की रक्षा करें। विश्व पृथ्वी दिवस की शुभकामनाएँ 🌳
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मैं निरंतर रोपता रहा पौधे,
उगाता रहा बीज उनके लिए,
वे चुपचाप, दबे पाँव
चुराते रहे मुझसे मेरी धरती..,
भूल गए वे, पौधा केवल
मिट्टी के बूते नहीं पनपता,
उसे चाहिए-
हवा, पानी, रोशनी, खाद
और ढेर सारी ममता भी,
अब बंजर मिट्टी और
जड़, पत्तों के कंकाल लिए,
हाथ पर हाथ धरे
बैठे हैं सारे शेखचिल्ली,
आशा से मुझे तकते हैं,
मुझ बावरे में जाने क्यों
उपजती नहीं
प्रतिशोध की भावना,
मैं फिर जुटाता हूँ
तोला भर धूप,
अंजुरी भर पानी,
थोड़ी- सी खाद
और उगते अंकुरों को
पिता बन निहारता हूँ,
हरे शृंगार से
सजती-धजती है,
सच कहूँ, धरती ;
प्रसूता ही अच्छी लगती है!
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© संजय भारद्वाज
अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार ☆सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय ☆संपादक– हम लोग ☆पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆ ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स ☆
संजयउवाच@डाटामेल.भारत
☆ आपदां अपहर्तारं ☆
श्री हनुमान साधना – अवधि- मंगलवार दि. 23 अप्रैल से गुरुवार 23 मई तक
श्री हनुमान साधना में हनुमान चालीसा के पाठ होंगे। संकटमोचन हनुमनाष्टक का कम से एक पाठ अवश्य करें। आत्म-परिष्कार एवं ध्यानसाधना तो साथ चलेंगे ही। मंगल भव
अनुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं।
≈ संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈