हिन्दी साहित्य – मनन चिंतन ☆ संजय दृष्टि – अपरिहार्य ☆ श्री संजय भारद्वाज ☆

श्री संजय भारद्वाज

(श्री संजय भारद्वाज जी – एक गंभीर व्यक्तित्व । जितना गहन अध्ययन उतना ही  गंभीर लेखन।  शब्दशिल्प इतना अद्भुत कि उनका पठन ही शब्दों – वाक्यों का आत्मसात हो जाना है।साहित्य उतना ही गंभीर है जितना उनका चिंतन और उतना ही उनका स्वभाव। संभवतः ये सभी शब्द आपस में संयोग रखते हैं  और जीवन के अनुभव हमारे व्यक्तित्व पर अमिट छाप छोड़ जाते हैं।  हम आपको प्रति रविवार उनके साप्ताहिक स्तम्भ – संजय उवाच शीर्षक  के अंतर्गत उनकी चुनिन्दा रचनाएँ आप तक  पहुँचा रहे हैं। सप्ताह के अन्य दिवसों पर आप उनके मनन चिंतन को  संजय दृष्टि के अंतर्गत पढ़ सकते हैं।)

? संजय दृष्टि – अपरिहार्य ? ?

राजा का मुकुट देख

विस्मित थे नगरवासी,

दुर्लभ रत्नों का

आभामंडल देख

चकित थे नगरवासी,

चकाचौंध में नहीं

देख पाए वे

मुकुट के भीतर के

तीक्ष्ण काँटे और

राजा का

लथपथ रक्ताभिषेक,

जय-जयकार,

हर्ष-उल्लास,

स्वार्थ-प्रमाद,

चाटुकारिता,

कलुष, विडंबना,

बनावटी अपनत्व,

मुकुट ढोने वालों के दुख की

मूक परिणति होती है;

सत्य जानते हुए

चुप रहना

राजा की नियति होती है,

फिर शनैः-शनैः

रीत जाता है सब कुछ,

पूरी कर अपनी पिपासा

मुकुट बंद कर देता है दरवाज़ा;

शासन-प्रशासन से

निर्वासित हो जाता है राजा,

नीति कहती है-

सुरक्षा, अनुशासन,

विकास, संगठन,

सीमाएँ, प्रसार,

उत्थान, खुशहाली के लिए

किसी न किसीको

होना पड़ता है राजा

और हाँ,

व्यवस्था के लिए

अनिवार्य होता है राजा..!

© संजय भारद्वाज 

(प्रातः 8:15 बजे, दि.10.12.2015)

अध्यक्ष– हिंदी आंदोलन परिवार सदस्य– हिंदी अध्ययन मंडल, पुणे विश्वविद्यालय संपादक– हम लोग पूर्व सदस्य– महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी ☆   ट्रस्टी- जाणीव, ए होम फॉर सीनियर सिटिजन्स 

मोबाइल– 9890122603

संजयउवाच@डाटामेल.भारत

[email protected]

☆ आपदां अपहर्तारं ☆

💥 🕉️ मार्गशीर्ष साधना सम्पन्न हुई। अगली साधना की सूचना हम शीघ्र करेंगे। 🕉️ 💥

नुरोध है कि आप स्वयं तो यह प्रयास करें ही साथ ही, इच्छुक मित्रों /परिवार के सदस्यों  को भी प्रेरित करने का प्रयास कर सकते हैं। समय समय पर निर्देशित मंत्र की इच्छानुसार आप जितनी भी माला जप  करना चाहें अपनी सुविधानुसार कर सकते हैं ।यह जप /साधना अपने अपने घरों में अपनी सुविधानुसार की जा सकती है।ऐसा कर हम निश्चित ही सम्पूर्ण मानवता के साथ भूमंडल में सकारात्मक ऊर्जा के संचरण में सहभागी होंगे। इस सन्दर्भ में विस्तृत जानकारी के लिए आप श्री संजय भारद्वाज जी से संपर्क कर सकते हैं। 

संपादक – हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय ≈