आचार्य भगवत दुबे

☆ जन्म दिवस विशेष – 18 अगस्त – “शब्दर्षि” आचार्य भगवत दुबे ☆ श्री प्रतुल श्रीवास्तव ☆आचार्य भगवत दुबे ☆

डॉ राजकुमार ‘सुमित्र’  

आचार्य भगवत दुबे को जन्मदिन की बधाई 🌹💐

भारत के हिन्दी साहित्यकारों में संभवतः ‘दधीचि’ महाकाव्य के रचयिता, महाकवि आचार्य भगवत दुबे ही एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैं जो कम्प्यूटर की गति से सार्थक लेखन कर रहे हैं।

पचास कृतियों के सृजनकर्ता आशुकवि आचार्य भगवत दुबे को उनके जन्मदिवस १८ अगस्त को हार्दिक बधाई।

शुभ सुन्दर हो जन्मदिन
बढ़े आयु यश मान
वरद पुत्र हो वाणी के
वाणी के वरदान

 – डॉ राजकुमार ‘सुमित्र’

श्री प्रतुल श्रीवास्तव 

(श्री प्रतुल श्रीवास्तव जी ने विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियों के जन्मदिवस पर विशेष आलेख रचित करने का स्तुत्य कार्य प्रारम्भ किया हैं, इस विशेष कार्य के लिए उन्हें साधुवाद। आज प्रस्तुत है आचार्य भगवत दुबे जी के जन्मदिवस के उपलक्ष में विशेष आलेख “शब्दर्षि” आचार्य भगवत दुबे। )

अलौकिक शांति, प्रसन्नता व ज्ञान की आभा से आलोकित, उन्नत ललाट मुखमंडल, कंधों तक लहराते कपासी केश आचार्य भगवत दुबे  को भव्यता और उनकी सुमधुर, सुसंस्कृत मृदुल वाणी उन्हें चुम्बकीय आकर्षण प्रदान करती है। शब्द ब्रह्म के उपासक-साधक ऐसे ही होते हैं। सहज, सरल, निर्मल, विद्वान कवि-साहित्यकार आचार्य भगवत दुबे वास्तव में “शब्दर्षि” हैं। सूत्रों में संसार पिरोने में माहिर आचार्य जी की कलम से निकले शब्दों से वाक्य निर्मित हों अथवा दोहा, छंद, चौपाई या रुबाई सभी मंत्रों की तरह अर्थपूर्ण और असरकारक होते हैं।

जबलपुर के निकट डगडगा हिनोता गांव में जन्में  “शब्दर्षि” आचार्य भगवत दुबे ने एम.ए. के साथ ही एल.एल.बी. एवं कोविद (संस्कृत) किया है तथापि वे अभी भी ज्ञान पिपासु हैं। चर्चित महाकाव्य “दधीचि” के  प्रणेता भगवत दुबे समकालीन हिंदी साहित्य में छान्दस कविता के सशक्त हस्ताक्षर, ख्यातिलब्ध दोहाकार, आँचलिक शैली के चर्चित कहानीकार, हिंदी के बेहद कामयाब ग़ज़लकार, गीतकार-नवगीतकार, बालगीतकार, हाइकु एवं जनक छंद के मर्मज्ञ शिल्पकार हैं। आप शुकदेव चेतना के कवि हैं। आचार्य जी के रचना संसार में गांव हैं, प्रकृति है, गरीबी है, अमीरी है, झोपड़ियाँ हैं, अट्टालिकायें हैं, मेहनतकश हैं। शोषक हैं-पोषक हैं, रिश्ते-नाते हैं। चिंतन, धर्म, संस्कृति और इतिहास है, वर्तमान है, भविष्य है। उजाला है पर अंधेरा नहीं, आशा है पर निराशा नहीं। गर्व से मुक्त आचार्य जी सभी को सहज उपलब्ध हैं। नए साहित्यकारों के लिए प्रेरणा और उनके मार्गदर्शक हैं। “कुछ लिख के सो कुछ पढ़ के सो। तुम जिस जगह जागे सबेरे उस जगह से बढ़ के सो” की नीति पर चलने वाले दुबे जी अपना प्रत्येक दिन अध्ययन, चिंतन-मनन और शब्द साधना को देते हैं। उनकी रचनाओं का प्रकाशन निरंतर देश के प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में एवं आकाशवाणी से प्रसारण होता रहता है।

अब तक आचार्य जी द्वारा रचित गद्य-पद्य की 50 से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें प्रमुख हैं- स्मृति गंधा, अक्षर मंत्र (गीत संग्रह), शब्दों से संवाद, हरीतिमा (दोहा संग्रह), संकल्परथी (काव्य), बजे नगाड़े काल के (दोहे), दधीचि (महाकाव्य), विष कन्या, दूल्हा देव (कहानियां), शब्द विहंग (एक हजार दोहे),

कांटे हुए किरीट (व्यंग्य गीत), हिंदी तुझे प्रणाम, कसक शिकन, घुटन (गज़लें), अक्कड़ बक्कड़ (बालगीत), मां ममता की मूर्ति (गीत संग्रह), गौरव पुत्र (निबंध संग्रह), हाइकु रत्न, हाइकु मणि, बुंदेली दोहा संग्रह, सुधियों के भुजपाश, लोक मंजरी (बुंदली चौकड़िया) आदि आदि। आपकी कुछ कृतियों का तेलगु, तमिल और पंजाबी भाषा में अनुवाद भी हुआ है। अब तक आप 30 से अधिक स्मारिकाएँ एवं अभिनंदन ग्रंथ तथा सात काव्य संग्रह संपादित कर चुके हैं, 60 से अधिक पुस्तकों की समीक्षाएं लिख चुके हैं। आपके अनेक गीतों को संगीतबद्ध कर उनके कैसिट व सीडी बनाए जा चुके हैं।

संस्कारधानी के लिए गौरव की बात है कि “शब्दर्षि” आचार्य भगवत दुबे की कृतियों, उनके व्यक्तित्व-कृतित्व पर भोपाल, हरियाणा, मदुरै, फैजाबाद, बिलासपुर के विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों द्वारा अब तक अनेक लघु शोध प्रबंध, एम. फिल. एवं 6 पी-एच.डी. की जा चुकी हैं। अनेक साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के संरक्षक, मार्गदर्शक भगवत दुबे जी “कादम्बरी”संस्था के संस्थापक और वर्तमान अध्यक्ष हैं। कादम्बरी द्वारा प्रति वर्ष देश के विभिन्न अंचलों के लगभग 50 साहित्यकारों को उनकी प्रकाशित कृतियों पर श्रेष्ठता के आधार पर नगद राशि के साथ सम्मानित किया जाता है। अब तक 1500  से अधिक  साहित्यकार सम्मानित किये जा चुके हैं।

आचार्य भगवत दुबे जी को श्रेष्ठ साहित्य सृजन पर देश की विभिन्न संस्थाओं द्वारा अनेक सम्मान प्राप्त हो चुके हैं। जिनमें गुजरात हिंदी विद्यापीठ, म.प्र. लेखक संघ, भारती परिषद प्रयाग, राष्ट्रधर्म लखनऊ, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान, विक्रम शिला विद्यापीठ, कलावती वीरेंद्र कुमार हिंदी कविता ट्रस्ट हैदराबाद, महापौर जबलपुर सहित रूस के मास्को एवं सेंटपीटर्सवर्ग में प्राप्त सम्मान एवं उपाधियां प्रमुख हैं। आपको श्रेष्ठ सृजन पर उत्तर प्रदेश शासन हिंदी संस्थान द्वारा साहित्य भूषण अलंकरण से सम्मानित कर दो लाख एक रुपये का प्रतिष्ठित नगद पुरस्कार भी प्राप्त हुआ है।

सुप्रसिद्ध कवि रामेश्वर शुक्ल “अंचल” के अनुसार “कवि भगवत दुबे की कविता में ओज और प्रसाद गुण तो हैं ही, भाषा का व्यवस्थित प्रवाह भी है।” डॉ. राम कुमार वर्मा कहते हैं- “आचार्य भगवत दुबे के काव्य में प्राकृतिक सौंदर्य के साथ साथ स्थान-स्थान पर रास की निष्पत्ति भी आकर्षक है। वरिष्ठ साहित्यकार आचार्य डॉ. कृष्णकांत चतुर्वेदी लिखते हैं कि “आचार्य भगवत दुबे की कृतियों में भाषा, विषय, भाव, अभिव्यंजना एवं मौलिकता का उत्कृष्ट प्रदर्शन है।” मेरी (प्रतुल श्रीवास्तव)  दृष्टि में “शब्दर्षि” आचार्य भगवत दुबे एक श्रेष्ठ रचनाकार हैं जिनकी रचनाओं में विषयों की विविधता है, रोचक प्रस्तुतिकरण है, काव्य रचनाएँ उद्देश्य पूर्ण और दोष मुक्त हैं।

आज आचार्य भगवत दुबे के जन्म दिवस पर देश विदेश स्थित उनके सभी मित्रों, परिचितों, प्रशंसकों, शुभचिंतकों की ओर से उन्हें स्वस्थ, सुदीर्घ, सक्रिय, यशस्वी जीवन की अनंत शुभकामनाएं। बहुत बहुत बधाई।

– प्रतुल श्रीवास्तव

जबलपुर, मध्यप्रदेश

आचार्य भगवत दुबे जी का सदैव ई-अभिव्यक्ति परिवार पर विशेष आशीर्वाद रहा है। 21 अप्रैल 2021 को  ई-अभिव्यक्ति ने आपके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर विशेष आलेख प्रकाशित किया था जिसे आप निम्न लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं।

👉   ☆ हिन्दी साहित्य – आलेख – ☆ आचार्य भगवत दुबे – व्यक्तित्व और कृतित्व

आज 18 अगस्त को शब्दर्षि आचार्य भगवत दुबे जी के जन्म दिवस पर उनके सभी मित्रों, परिचितों, शुभचिंतकों, प्रशंसकों  एवं ई-अभिव्यक्ति परिवार की ओर से उन्हें बहुत बहुत बधाई 💐 शुभकामनाएं 💐

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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डॉ भावना शुक्ल

विद्वत जनों की शानदार अभिव्यक्ति 🙏🙏

आदरणीय दादा जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं उनके दीर्घायु जीवन की कामना करते हैं।🙏🙏