मराठी साहित्य – कवितेचा उत्सव ☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 156 – माझे अण्णा ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे 

? कवितेचा उत्सव ?

☆ रंजना जी यांचे साहित्य # 156 – माझे अण्णा ☆ श्रीमती रंजना मधुकरराव लसणे ☆

वालुबाई पोटी।

जन्माले सुपुत्र।

भाऊराव छत्र।

तुकोबांचे।।१।।

 

वाटेगावाचे हो

भाग्य किती थोर।

उजळली भोर।

तुकोबाने।।२।।

 

कथा कादंबरी।

साहित्यिक तुका।

पोवाड्यांचा ठेका।

अभिजात।।३।।

 

गण गवळण।

वग, बतावणी।

समाज बांधणी।

अविरत।।४।।

 

वर्ग विग्रहाचे।

ज्ञान रुजविले।

किती घडविले।

क्रांतीसूर्य।।५।।

 

लाल बावट्याचे।

कार्य ते महान।

समाज उत्थान।

कार्यसिद्धी।।६।।

 

अविरत काम।

कधी ना आराम।

प्रसिद्धीस नाम।

अण्णा होय।।७।।

 

दीन दलितांचा।

आण्णा भाष्यकार।

टीपे कथाकार।

दुःखे त्यांची।।८।।

 

कथा कादंबऱ्या।

संग्रहांची माला।

कम्युनिस्ट चेला।

वैचारिक।।९।।

 

कलावंत थोर।

जगात संचार।

इप्टा कारभार।

स्विकारला।।१०।।

 

भुका देश माझा।

भाकरी होईन।

जीवन देईन।

शब्दातून।।१०।।

 

अनेक भाषात।

भाषांतर झाले।

जगात गाजले।

साहित्यिक ।।११।।

 

त्रिवार असू दे

मानाचा मुजरा ।

साहित्यिक खरा।

स्वयंसिद्ध।।१२।।

 

©  रंजना मधुकर लसणे

आखाडा बाळापूर, जिल्हा हिंगोली

9960128105

≈संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडळ (मराठी) – सौ. उज्ज्वला केळकर/श्री सुहास रघुनाथ पंडित /सौ. मंजुषा मुळे/सौ. गौरी गाडेकर≈