डॉ भावना शुक्ल

(डॉ भावना शुक्ल जी  (सह संपादक ‘प्राची‘) को जो कुछ साहित्यिक विरासत में मिला है उसे उन्होने मात्र सँजोया ही नहीं अपितु , उस विरासत को गति प्रदान  किया है। हम ईश्वर से  प्रार्थना करते हैं कि माँ सरस्वती का वरद हस्त उन पर ऐसा ही बना रहे। आज प्रस्तुत हैं आपकी एक कविता श्री गणेशाय नमः)

☆ साप्ताहिक स्तम्भ  # 200 – साहित्य निकुंज ☆

☆ श्री गणेशाय नमः  डॉ भावना शुक्ल ☆

प्रथम पूज्य हैं आप तो, हे गणपति महराज।

विघ्न विनाशक देवता, बना रहे हर काज।।

श्री गणेश को पूजते, हैं वो ही सर्वेश।

विघ्नविनाशक देवता, देते है आदेश।।

करते गणपति वंदना, आज  पधारो आप।

धन्य धन्य हम हो रहे, दूर करो संताप।।

करते हैं हम आचमन, पंचामृत गणराज।

मोदक भोग लगा रहे, स्वीकारो प्रभु आज।।

तुम दाता इस सृष्टि के, हे गणपति महराज।

विनती इतनी मैं करूँ, करो सफल सब काज।।

मन मंगलमय हो रहा, झूम उठा है चंद।

हुआ आगमन आपका, छाया है आनंद।।

मन आनंदित हो गया, देख आपका रूप।

करते वंदन आपका, रोज जलाकर धूप।।

गणपति की आराधना, करते उनका ध्यान।

पूर्ण मनोरथ हो रहे, करते हैं गुणगान।।

रिद्धि सिद्धि के देवता, देवों के सरताज।

हरते विघ्न अपार वो, पूरे करते काज।।

© डॉ भावना शुक्ल

सहसंपादक… प्राची

प्रतीक लॉरेल, J-1504, नोएडा सेक्टर – 120,  नोएडा (यू.पी )- 201307

मोब. 9278720311 ईमेल : bhavanasharma30@gmail.com

≈ संपादक – श्री हेमन्त बावनकर/सम्पादक मंडल (हिन्दी) – श्री विवेक रंजन श्रीवास्तव ‘विनम्र’/श्री जय प्रकाश पाण्डेय  ≈

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