श्री प्रदीप शर्मा
(वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रदीप शर्मा जी द्वारा हमारे प्रबुद्ध पाठकों के लिए दैनिक स्तम्भ “अभी अभी” के लिए आभार।आप प्रतिदिन इस स्तम्भ के अंतर्गत श्री प्रदीप शर्मा जी के चर्चित आलेख पढ़ सकेंगे। आज प्रस्तुत है आपकी गद्य क्षणिका – “अंतिम साँसें…“।)
अभी अभी # 721 ⇒ गद्य क्षणिका – अंतिम साँसें
श्री प्रदीप शर्मा
वे बिस्तर पर अंतिम साँसें गिन रहे थे। कर्कशा पत्नी उनकी स्थिति से अनजान थी। पत्नी चिल्लाई, क्या कर रहे हो ? वे गिनती भूल गए। दोनों की जान में जान आई..!!
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© श्री प्रदीप शर्मा
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