श्री शांतिलाल जैन 

 

(आदरणीय अग्रज एवं वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री शांतिलाल जैन जी विगत दो  दशक से भी अधिक समय से व्यंग्य विधा के सशक्त हस्ताक्षर हैं। आपकी पुस्तक  ‘न जाना इस देश’ को साहित्य अकादमी के राजेंद्र अनुरागी पुरस्कार से नवाजा गया है। इसके अतिरिक्त आप कई ख्यातिनाम पुरस्कारों से अलंकृत किए गए हैं। इनमें हरिकृष्ण तेलंग स्मृति सम्मान एवं डॉ ज्ञान चतुर्वेदी पुरस्कार प्रमुख हैं। आज  प्रस्तुत है श्री शांतिलाल जैन जी का नया व्यंग्य “चुनाव प्रबंधन में एमबीए : एडमिशन ओपन्स ” एक नयी शैली में। मैं श्री शांतिलाल जैन जी के प्रत्येक व्यंग्य पर टिप्पणी करने के जिम्मेवारी पाठकों पर ही छोड़ता हूँ। अतः आप स्वयं  पढ़ें, विचारें एवं विवेचना करें। हम भविष्य में श्री शांतिलाल  जैन जी से  ऐसी ही उत्कृष्ट रचनाओं की अपेक्षा रखते हैं। ) 

 

☆☆ चुनाव प्रबंधन में एमबीए : एडमिशन ओपन्स ☆☆

 

एक प्रतिष्ठित बी-स्कूल की काल्पनिक वेबसाईट के अंग्रेज़ी में होम-पेज का बोलचाल की भाषा में तर्जुमा कुछ कुछ इस तरह है :-

हम हैं भारत के तेजी से बढ़ते बी-स्कूल, और हम प्रारम्भ करने जा रहे हैं – ‘चुनाव प्रबंधन में एमबीए’.

चुनावों में प्राईवेट पॉलिटिकल कंसल्टेंट्सी के तेज़ी से बढ़ते कारोबार और इस क्षेत्र में प्रबंधन स्नातकों के कॅरियर की असीम संभावनाओं को हमारे संस्थान ने पहचाना और आपके लिए खास तौर पर डिझाईन किया है – ‘चुनाव प्रबंधन में एमबीए’.

राजनीति इन दिनों सर्वाधिक लाभ देने वाले व्यापार क्षेत्र में तब्दील हो गई है. पिछले कुछेक दशकों में राजनीति में विनिवेश करने वालों ने छप्परफाड़ प्रॉफ़िट कमाया है. यहाँ कमाई इतनी अधिक हैं कि बहुत से कारोबारी तो खुद राजनेता हो गये हैं. कुछ बिग कार्पोरेट्स ने परिवार के एक दो सदस्यों को ही राजनीति में उतार दिया है, तो कुछ ने अपने प्रतिनिधियों पर जनप्रतिनिधि का चेहरा चढ़ा कर सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित करा दी है. लेकिन ये सब इतना आसान नहीं है. इसके लिए चुनाव जीतना पड़ता है. बड़े कारोबारियों को जीत के लिए हुनरमंदों की तलाश है.

हम जीत दिला सकने वाले हुनरमंद तैयार करते हैं.

विजन :

पेशेवर युवा तैयार करना जो हैंडसम फीस के बदले किसी भी पार्टी को, कभी भी होनेवाले चुनावों में कहीं से भी जीत दिलवा सके.

मिशन :

कि ऐसी मार्केटिंग स्किल्स विकसित करना जो लोकतन्त्र के बाज़ार में ब्रांडेड जननायक को बहुमत से सेल-आउट कर सके,

कि हायकमान की जमीनी कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेतृत्व पर निर्भरता समाप्त करना,

कि मानव संसाधन का ऐसा आधार तैयार करना जहां हायकमान कंट्रोल रूम से ईलेक्शन मेनेज कर सकें,

कि ऐसे पेशेवर युवा तैयार करना जो किसी विचारधारा बंधें न हो,

कि फीस ही जिनकी विचारधारा हो,

वैल्यूज :

जीत दिलानेवाला हर मूल्य नैतिक मूल्य है.

सिलेबस इन ब्रीफ़ :

पहले सेमेस्टर में हम कवर करते हैं डाटा मेनिपुलेशन. हम आंकड़े गढ़ना सिखाते हैं. आंकड़े जाति के, धर्म के, भाषा के,आय के, घृणा के, वैमनस्य के, ध्रुवीकरण के, आंकड़े सच्चाईयों से परहेज  के, आंकड़े झूठ से छबि चमकाने के. हम आंकड़े गायब करना भी सिखाते हैं – आंकड़े बेरोजगारी के, आंकड़े किसानों की आत्महत्या के, आंकड़े भय, भूख, भटकाव के. हम आपको ऐसे प्रवीण करेंगे कि आप अपने क्लाईंट से पूरे आत्मविश्वास से झूठ बुलवा सकें. हम सिखाएँगे आपको मुद्दे गढ़ना. मुद्दे भटकाने वाले, मुद्दे डराने वाले, मुद्दे भड़काने वाले, मुद्दे भरम के, मुद्दे जो गैर-जरूरी हों मगर बेहद जरूरी लगें. हम सिखाएँगे वादों की भूल-भूलैया में ले जाकर वोटर को उस जगह छोड़ आना जहाँ वो पाँच साल तक चलता रहे और पहुँचे कहीं नहीं. बाहर निकले तो फिर उसी भूल-भूलैया में घुसने को मचल मचल जाये. वो लुट जाये, मगर खुश हो कि वाह क्या लूटा है सर आपने, मजा आ गया !! नारे गढ़ने की कला का विशेष प्रशिक्षण इसी सत्र में दिया जावेगा. नारे जो वोटर के दिल को छू जाये मगर विवेक की बत्ती बुझा दे.

दूसरे सेमेस्टर में हम आपको क्लाईंट की सकारात्मक, एंटी-क्लाईंट की नकारात्मक खबरें प्लांट करना सिखाएँगे. झूठ में सच का छींटा मार कर क्लाईंट के पक्ष में वोटर का मानस बदल देने की कला में आपको पारंगत कराया जाएगा. मीडिया प्रबंधन भी ऐसा कि हर समय दीखे तो बस आपका क्लाईंट दीखे, सुनाई दे तो बस आपका क्लाईंट सुनाई दे,खुशबू आये तो बस आपके क्लाईंट की, हवाओं में, फिजाओं में, घटाओं में, जल में, थल में, नभ में, अखबार में, रेडियो पे, टीवी पे, मोबाइल पे, होर्डिंग्स पे, पेशाबघर की दीवारों पर चिपके इश्तेहारों तक पे हर तरफ तेरा ही जलवा टाइप. लोग कहें बस अब और कोई ब्रांड नहीं चलेगा. इसी ब्रांड का जनप्रतिनिधि पैक कर दीजिये, कीमत बस एक वोट.

तीसरे सेमेस्टर में हम आपको सिखाएँगे डेमोक्रेसी के पालिका बाज़ार में डिमांड के अनुरूप साँचा बनाना और क्लाईंट को उसमें ढ़ालना. क्लाईंट ढ़ल नहीं पा रहा, उससे पैदल चला नहीं जाता, धूप तेज़ लगती है, धूल से एलर्जी है, बम्बे का पानी पीने से डरता है तो कोई बात नहीं – आप उनसे जनसम्पर्क मत कराईये,  रोड शो करा लीजिए. जीप पर बैठाकर निकालिए, हाथ जुड़वाईये नहीं, लहरवाईए, दोनों ओर. आप तय करेंगे कि वे कब प्रसाद खाएँ कब इफ्तार में जाएँ, मंदिर जाएँ तो किस मंदिर जाएँ, किस कलर का उत्तरीय डाले, धोती पहने कि पायजामा, पायजामा नाड़ीवाला हो कि बटनवाला, जेब फटी रखें कि साबुत. नंगे तो वे अंदर से हैं ही, जीत के लिये जरूरी हो तो वे अनावृत भी रोड शो करने को तैयार हैं. बस आप उनके कान में फूँक भर दें. जीत के रास्ते निकालना हम आपको सिखाएँगे. आखिर आप चुनाव प्रबंधन के गुरु बनने की राह पर जो हैं.

चौथे सेमेस्टर में आपको अपोजिशन में सेंध लगाने का लाईव असाइन्मेंट दिया जायेगा. विपक्ष में से चुन चुन कर विधायकों, सांसदों को जस का तस शीशे में उतारना है आपको. उनकी खरीद फरोख्त के नये नये तरीके ईज़ाद करने हैं. डील डन कराने की कला विकसित करनी है. असाइन्मेंट उस राज्य में करना है जहाँ चुनाव निकट हैं. वहाँ चुनावों से पहले कम से कम दो सांसदों या बारह विधायकों का पाला बदलवाना है. आपके पास सांसदों, विधायकों की डील के लिये पाँच से पच्चीस करोड़ तक का बजट रहेगा. असाइन्मेंट सफलतापूर्वक कंपलीट करना अनिवार्य है आखिर मोटी-मनी दांव पर जो होगी.

कॅरियर नेक्स्ट :

चलिये, अब आप हैं लोकतन्त्र के बाज़ार में प्रत्याशियों की मार्केटिंग के मैनेजमेंट गुरू.

अपना स्टार्ट-अप शुरू कर सकते हैं. अलग अलग तरह के पैकेज ऑफर कर सकते हैं – सिर्फ सर्वे कराना है, मुद्दे सुझाना है, बूथ मैनेज करना है, डॉक्टर्ड वीडियो सरकुलेट करना है, बिना सामने आए किसी का चरित्र हनन करना है, कोरट-कचहरी, आयोग, प्रशासन को अपने साँचे में ढ़ाल कर मोटी फीस वसूल कर सकते हैं.

बड़े अवसर आपके सामने हैं, भुनाईये इन्हें. नामी और ऊंचे कार्पोरेट्स कंसल्टेंट्स को मोटी फीस चुका कर पूरा चुनाव अपने पक्ष में कर लेने की योजना पर काम कर रहे हैं. कुछ कमी रही तो मोटी रकम चुकाकर दल बदल करा लेंगे. ये बात और है कि वे जन भागीदारी को सत्ता से दूर करके डेमोक्रेसी के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं लेकिन आपको डेमोक्रेसी से क्या लेना-देना ? आप तो अपने कॅरियर पर ध्यान दीजिये. नये दौर में चुनावों में जीत के लिए एक ऐसा हाईप बनाया जाता है जिसे पूरा कर पाना क्लाईंट के लिये संभव नहीं होता या जो राष्ट्र समाज के लिए दीर्घकालीन रूप से खतरनाक हो, लेकिन वो कंसल्टेंसी फर्म का सिरदर्द नहीं है. आपको क्या ? आपको तो बस जीत दिलाना है, फीस अंटी में डालनी है और अगले प्रोजेक्ट पर लग जाना है. बिंदास काम करिये, आपकी फीस चुनाव आयोग के निर्धारित खर्च का हिस्सा नहीं है.

अपना स्टार्ट-अप शुरू करना नहीं चाहते हैं तो हम कैंपस भी कराते हैं. हम अपने स्टूडेंट्स को इलेक्शन कंसल्टेंसी के क्षेत्र में ऊँचा मुकाम दिलाने के लक्ष्य पर काम कर रहे हैं.

एक आकर्षक, स्वर्णिम, उज्जवल कॅरियर आपकी प्रतीक्षा कर रहा है. तो सोच क्या रहे हैं ? सीटें सीमित हैं – जल्दी कीजिये. एडमिशन ओपन्स.

© श्री शांतिलाल जैन 

F-13, आइवोरी ब्लॉक, प्लेटिनम पार्क, माता मंदिर के पास, TT नगर, भोपाल. 462003.

मोबाइल: 9425019837

 

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विवेक

शानदार धारदार

सुरेश कुशवाहा तन्मय

वैसे तो राजनीति में योग्यता का कोई स्थान नहीं है पर इसके विपरीत दर्शाए प्रशिक्षण सूत्र विधिवत घोंट लिए जाय तो सोने में सुहागा।
शानदार व्यंग्य आलेख, बधाई

Pramod Dixit

सच्चाई दिखाता हुआ व्यंग। शायद सभी देश वाशी पढ़कर कुछ सीख ले सकेंगे। वधाई सर्

Rakesh Soham

कोर्स तो बड़ा आकर्षक है भाई। अगले चुनाव के पूर्व इस कोर्स को सभी कालेजों के लिए लागू करें। सेवानिवृत्ति के बाद मैं भी राजनीति में कूदने की तैयारी कर सकूंगा ।अतः ऐडमिशन का इच्छुक हूं। शांतिलाल जी ने बहुत उम्दा कोर्स तैयार किया है।

Rakesh Soham

कोर्स तो बड़ा आकर्षक है भाई। अगले चुनाव के पूर्व इस कोर्स को सभी कालेजों के लिए लागू करें। सेवानिवृत्ति के बाद मैं भी राजनीति में कूदने की तैयारी कर सकूंगा ।अतः ऐडमिशन का इच्छुक हूं। शांतिलाल जी ने बहुत उम्दा कोर्स तैयार किया है।