सुश्री मालती मिश्रा ‘मयंती’
फागुन आया
हवाओं की नरमी जब मन को गुदगुदाने लगे
नई-नई कोपलें जब डालियाँ सजाने लगें,
खुशनुमा माहौल लगे, मन में उठें तरंग
तब समझो फागुन आया, लेकर खुशियों के रंग।
खिलते टेसू पलाश मन झूमे होके मगन
पैर थिरकने लगे नाचे मन छनन-छनन,
बैर-भाव भूलकर खेलें जब सभी संग
तब समझो फागुन आया लेकर खुशियों के रंग।
होली है त्योहार रंगों का खुशियाँ भर-भर लाता है
फागुन के मदमस्त फिजां में, झूम-झूम मन गाता है,
राग रंजिश भूल सभी आज रंगें प्रेम रंग
अब देखो फागुन आया लेकर खुशियों के रंग।
© मालती मिश्रा ‘मयंती’