श्री हेमन्त बावनकर

 

(युगपुरुष कर्मयोगी श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की ही कविताओं से प्रेरित उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित।)

 

☆ गीत नया गाता था, अब गीत नहीं गाऊँगा ☆

 

स्वतन्त्रता दिवस पर

पहले ध्वज फहरा देना।

फिर बेशक अगले दिन

मेरे शोक में झुका देना।

 

नम नेत्रों से आसमान से यह सब देखूंगा।

गीत नया गाता था अब गीत नहीं गाऊँगा।

 

स्वकर्म पर भरोसा था

कर्मध्वज फहराया था।

संयुक्त राष्ट्र के पटल पर

हिन्दी का मान बढ़ाया था।

 

प्रण था स्वनाम नहीं राष्ट्र-नाम बढ़ाऊंगा।

गीत नया गाता था अब गीत नहीं गाऊँगा।

 

सिद्धान्तों की लड़ाई में

कई बार गिर पड़ता था।

समझौता नहीं किया

गिर कर उठ चलता था।

 

प्रण था हार जाऊंगा शीश नहीं झुकाऊंगा।

गीत नया गाता था अब गीत नहीं गाऊँगा।

 

ग्राम, सड़क, योजनाएँ

नाम नहीं मांगती हैं।

हर दिल में बसा रहूँ

चाह यही जागती है।

 

श्रद्धांजलि पर राजनीति कभी नहीं चाहूँगा।

गीत नया गाता था अब गीत नहीं गाऊँगा।

 

काल के कपाल पे

लिखता मिटाता था।

जी भर जिया मैंने

हार नहीं माना था।

 

कूच से नहीं डरा, लौट कर फिर आऊँगा।

गीत नया गाता था अब गीत नहीं गाऊँगा।

© हेमन्त  बावनकर,  पुणे 

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Sanjay Bhardwaj

अजातशत्रु व्यक्तित्व, कर्मयोद्धा, कवि-राजनेता को कविता द्वारा सच्ची श्रद्धांजलि।

Sujata Kale

विनम्र श्रद्धांजलि ….बहोत ही बढ़िया रचना

डॉ भावना शुक्ल

वाह
विनम्र श्रद्धांजलि

मच्छिंद्र भिसे

अटल जी को भावुक शब्द सुमनांजली.

Prabha Sonawane

बहुत बढिया….

Prabha Sonawane

आशावाद बहुत अच्छा लगा….भावपूर्ण श्रद्धांजली

Vijay Tiwari

एक जीवंत, दिशाबोधी और अनुकरणीय रचना।

Sanjay k Bhardwaj

श्रद्धांजलि पर राजनीति कभी नहीं चाहूँगा..!…महामना अटल जी को नमन।